Sangeeta singh

Add To collaction

असली सुख

शीना ,मीना दो बहनें थीं।शीना बहुत सुंदर थी ,जबकि मीना सामान्य थी।दोनों बहनों में बहुत प्यार था।
शीना मुकुल नाम के लड़के से प्यार करती थी ,मुकुल एक बड़े परिवार का बेटा था धन संपत्ति की कोई कमी नहीं थी ,मुकुल अपने पिता का व्यवसाय देखता था।
मुकुल ने अपने माता पिता की रजामंदी से विवाह कर लिया।
शीना के माता पिता इतना बड़ा रिश्ता पा कर धन्य हो गए थे।
अब बची मीना,मीना की एक सहेली थी जिसका दूर का भाई स्कूल में मास्टर था ,उसने मीना को देखा था ,वह उसके,शांत स्वभाव और गुणों को देखकर उसे मन ही मन पसंद करता था ,ये बात मीना की सहेली सुगंधा को मालूम थी ,उसने मीना के माता पिता को बताई ।
मीना के माता पिता मध्यमवर्गीय परिवार से थे ,वे ज्यादा दहेज नहीं दे सकते थे ।
उन्होंने श्याम को देखा ,और उसके परिवार से मिले तो उन्हें परिवार बहुत अच्छा लगा ,उन्होंने देर न करते हुए मीना का ब्याह श्याम से कर दिया।

सबसे अच्छी बात यह थी कि शीना और मीना एक ही शहर में थीं।
शादी के बाद एक दो बार मिलीं थीं ,उसके बाद उनका मिलना कम हो गया।
शीना  को घर में कोई काम नहीं रहता था ,हर काम के लिए नौकर चाकर लगे थे।

वो अकेले कमरे में बोर होती ।क्योंकि सास के पास समय ही नहीं था ,सब लोग रात को डिनर पर ही इकट्ठा होते।
सास चैरिटी में , किटी पार्टी में,या फोन पर दोस्तों से लगी रहती।जब शीना उनके पास जाकर बैठना चाहती ,बातें करना चाहती तो वो कहती  ऊब रही हो क्या?_,जाओ अपने कमरे में ऑनलाइन तंबोला का पासवर्ड भेजती हूं,खेलो।उन्हें अपनी आजादी में किसी का खलल डालना बिल्कुल पसंद नहीं था।
शीना को अपने मायके की याद आती ,कैसे दोनों बहनें देश दुनिया की बातें करतीं।
मीना और शीना जब बाजार जातीं तो चाट,टिक्की के ठेले पर जुट पड़तीं।
अब सबकुछ हाइजेनिक आता है ,ठेले पर से तो कुछ खाने का सवाल ही नहीं था।

शीना ने मीना को फोन मिलाया _
हैलो मीना कैसी हो ?
अरे दीदी कितने दिन बाद ,कैसी हो ?हमारे घर आओ ना,सब बहुत याद करते हैं_चहकते हुए  मीना ने कहा।

मीना  मैं ठीक हूं ,सोच रही हूं ,तेरे जीजाजी के साथ तेरे घर आऊं,बहुत दिन हो भी गया है।
हां दीदी आपलोग आओ।
शाम को शीना मुकुल से कहती है_ ,सुनो मुकुल चलो न मीना के घर।
अरे..।तुम जानती हो ,मुझे कितना काम रहता है।शाम तक थक जाता हूं ।ऐसा करो ,ड्राइवर को लेकर चली जाओ ,पूरे दिन वहां रुको,गप्पे मारो और शाम को चली आना ।
पहले तो शीना ने अकेले जाने से मना कर दिया ,और रूठ गई।
लेकिन दो तीन दिन बाद वो सुबह उठी,नहा धो कर बहन के घर जाने को तैयार हो गई।सास ने उसे तैयार देखा तो पूछा कहां जा रही हो शीना ?
उसने कहा मम्मी मैं बहन के घर जा रहीं हूं।
सास ने कहा _बाजार से फल मिठाई  और कुछ साड़ी कपड़े खरीद लेना ,उन्हें भी लगे हम अमीर हैं।गर्व से उनका मुख मंडल चमक रहा था।
जी मम्मी_शीना ने कहा।
शीना ड्राइवर के साथ मीना के घर के लिए निकल गई ,रास्ते में उसने बाजार से मिठाई खरीदी ,अच्छे शोरूम से सबके लिए साड़ी,कपड़े लिए,और पहुंच गई बहन के घर।
एक बड़ी सी गाड़ी ,मीना के घर के सामने रुकी ।
सास ने दरवाजा खोला ।शीना जेवरातों से लदी ,मेकअप लपेटे ,महंगी परफ्यूम लगा घर में दाखिल होती है ।ड्राइवर आकार सारा सामान जो अभी अभी शीना ने खरीदा था ,अंदर रख गया।
मीना कमरे से दौड़ी दौड़ी आई ,और शीना के गले लग गई।
मीना की सास ने रचना (मीना की ननद)को बुलाया ,और अंदर रसोई में चली गई।
तब तक मीना ने कहा _मांजी मैं आ रही हूं।
उसकी सास ने कहा _तू बैठ बहू ,तेरी दीदी आई है,मैं और रचना चाय नाश्ता ले आयेंगे।
और मीना बैठ गई।

शीना ने धीरे से कहा _दिखावा करती हैं ये सासें भी,मायके के लोगों को देख कितना मिठास अपनी जुबान पर घोल लेती हैं।
अरे नहीं दीदी ,मेरी सास बहुत अच्छी हैं ,वो मेरा बहुत ध्यान रखती हैं,ननद और देवर भी भाभी भाभी कह कर हमेशा लिपटे ही रहते हैं_मीना ने कहा।
अच्छा!!!_शीना आश्चर्य से मुंह बनाती है।

और श्याम तो सबको छुट्टी के दिन बाजार ले जाकर गोलगप्पे,टिक्की खिलाते हैं उस दिन हमलोग थियेटर भी जाते हैं,बड़ा मजा आता है।

शीना उसकी बातें सुन सुन कर खुद की स्थिति की तुलना कर रही थी।
तब तक सास आ गई,चाय पकौड़े लेकर।सबने मजे में नाश्ता किया , फिर जब शीना जाने को हुई,तो मीना की सास ने रोक लिया।

उन्होंने कहा_अरे शीना खाना खा कर जाओ,तुम्हारी सारी मनपसंद खाने की  चीजें तुम्हारी बहन बना कर खिलाएगी ।

हां दीदी रूक जाओ ,मैं तुम्हारे लिए  गट्टे की सब्जी बनाऊंगी ।
अरे वाह,तब तो मैं खा कर ही जाऊंगी ,शीना ने कहा।
उसे खूब अच्छा लग रहा था ,मीना के घर ।खाना खा कर सब लोग मिलकर कैरम ,अंताक्षरी खेलने  लगे।
कैसे दिन बीत गया और शाम हो गई ,शीना को पता ही नहीं चला।
अब उसे लौटना था,जाते वक्त मीना की सास ने सगुन में 100 रुपए शीना को दिए।

उन्होंने कहा _ये रुपए कागज के हैं ,और शायद तुम्हारे लिए ये कोई मायने भी नहीं रखते ,लेकिन इसमें हमारा प्यार है।

शीना की आंखों में आसूं आ जाते हैं।वह झुककर मीना की सास के पांव छू लेती है।

लौटते वक्त वो सोचती है ,मैं इनलोगों के आगे कितनी गरीब हूं।सब लोगों में कितना प्यार कितनी एक दूसरे के लिए फिक्र है।संतोष है,पैसों से ज्यादा इनके लिए रिश्ते मायने रखते हैं।
जबकि मेरे  पास भौतिक सुख सुविधा भरी पड़ी है ,लेकिन दिल और मन दोनों ही  कंगाल ।
मोबाइल ,की आभासी दुनिया में सब खो गए हैं। रिश्ते सब पौधों की तरह बिन पानी के धीरे धीरे मुरझा रहे ,उसकी अभी फिक्र नहीं।

पैसे रुपए कमाने की होड़ में ही मनुष्य स्वार्थ, में घिरता गया है ।
समाप्त

   15
9 Comments

The story

15-Mar-2022 11:15 AM

Khoobsurat kahani likhi h aapne.

Reply

Shrishti pandey

13-Mar-2022 11:52 PM

Nice

Reply

Seema Priyadarshini sahay

13-Mar-2022 05:52 PM

बहुत ही खूबसूरत कहानी है मैम

Reply